ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Doha / दोहा
दो. बड़ कुघातु करि पातकिनि कहेसि कोपगृहँ जाहु। काजु सँवारेहु सजग सबु सहसा जनि पतिआहु ॥ २२ ॥
Chaupai / चोपाई
कुबरिहि रानि प्रानप्रिय जानी। बार बार बड़ि बुद्धि बखानी ॥ तोहि सम हित न मोर संसारा। बहे जात कइ भइसि अधारा ॥
जौं बिधि पुरब मनोरथु काली। करौं तोहि चख पूतरि आली ॥ बहुबिधि चेरिहि आदरु देई। कोपभवन गवनि कैकेई ॥
बिपति बीजु बरषा रितु चेरी। भुइँ भइ कुमति कैकेई केरी ॥ पाइ कपट जलु अंकुर जामा। बर दोउ दल दुख फल परिनामा ॥
कोप समाजु साजि सबु सोई। राजु करत निज कुमति बिगोई ॥ राउर नगर कोलाहलु होई। यह कुचालि कछु जान न कोई ॥
Doha / दोहा
दो. प्रमुदित पुर नर नारि। सब सजहिं सुमंगलचार। एक प्रबिसहिं एक निर्गमहिं भीर भूप दरबार ॥ २३ ॥
Chaupai / चोपाई
बाल सखा सुन हियँ हरषाहीं। मिलि दस पाँच राम पहिं जाहीं ॥ प्रभु आदरहिं प्रेमु पहिचानी। पूँछहिं कुसल खेम मृदु बानी ॥
फिरहिं भवन प्रिय आयसु पाई। करत परसपर राम बड़ाई ॥ को रघुबीर सरिस संसारा। सीलु सनेह निबाहनिहारा।
जेंहि जेंहि जोनि करम बस भ्रमहीं। तहँ तहँ ईसु देउ यह हमहीं ॥ सेवक हम स्वामी सियनाहू। होउ नात यह ओर निबाहू ॥
अस अभिलाषु नगर सब काहू। कैकयसुता ह्दयँ अति दाहू ॥ को न कुसंगति पाइ नसाई। रहइ न नीच मतें चतुराई ॥
Doha / दोहा
दो. साँस समय सानंद नृपु गयउ कैकेई गेहँ। गवनु निठुरता निकट किय जनु धरि देह सनेहँ ॥ २४ ॥
Chaupai / चोपाई
कोपभवन सुनि सकुचेउ राउ। भय बस अगहुड़ परइ न पाऊ ॥ सुरपति बसइ बाहँबल जाके। नरपति सकल रहहिं रुख ताकें ॥
सो सुनि तिय रिस गयउ सुखाई। देखहु काम प्रताप बड़ाई ॥ सूल कुलिस असि अँगवनिहारे। ते रतिनाथ सुमन सर मारे ॥
सभय नरेसु प्रिया पहिं गयऊ। देखि दसा दुखु दारुन भयऊ ॥ भूमि सयन पटु मोट पुराना। दिए डारि तन भूषण नाना ॥
कुमतिहि कसि कुबेषता फाबी। अन अहिवातु सूच जनु भाबी ॥ जाइ निकट नृपु कह मृदु बानी। प्रानप्रिया केहि हेतु रिसानी ॥
Sign In