Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Hanuman narrating the story of Sita to her, Sita's arrival and the agni pariksha.

ॐ श्री परमात्मने नमः


This overlay will guide you through the buttons:

संस्कृत्म
A English

ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

पुनि प्रभु बोलि लियउ हनुमाना। लंका जाहु कहेउ भगवाना ॥ समाचार जानकिहि सुनावहु। तासु कुसल लै तुम्ह चलि आवहु ॥

तब हनुमंत नगर महुँ आए। सुनि निसिचरी निसाचर धाए ॥ बहु प्रकार तिन्ह पूजा कीन्ही। जनकसुता देखाइ पुनि दीन्ही ॥

दूरहि ते प्रनाम कपि कीन्हा। रघुपति दूत जानकीं चीन्हा ॥ कहहु तात प्रभु कृपानिकेता। कुसल अनुज कपि सेन समेता ॥

सब बिधि कुसल कोसलाधीसा। मातु समर जीत्यो दससीसा ॥ अबिचल राजु बिभीषन पायो। सुनि कपि बचन हरष उर छायो ॥

Chanda / छन्द

छं. अति हरष मन तन पुलक लोचन सजल कह पुनि पुनि रमा। का देउँ तोहि त्रेलोक महुँ कपि किमपि नहिं बानी समा ॥ सुनु मातु मैं पायो अखिल जग राजु आजु न संसयं। रन जीति रिपुदल बंधु जुत पस्यामि राममनामयं ॥

Doha/ दोहा

दो. सुनु सुत सदगुन सकल तव हृदयँ बसहुँ हनुमंत। सानुकूल कोसलपति रहहुँ समेत अनंत ॥ १०७ ॥

Chaupai / चोपाई

अब सोइ जतन करहु तुम्ह ताता। देखौं नयन स्याम मृदु गाता ॥ तब हनुमान राम पहिं जाई। जनकसुता कै कुसल सुनाई ॥

सुनि संदेसु भानुकुलभूषन। बोलि लिए जुबराज बिभीषन ॥ मारुतसुत के संग सिधावहु। सादर जनकसुतहि लै आवहु ॥

तुरतहिं सकल गए जहँ सीता। सेवहिं सब निसिचरीं बिनीता ॥ बेगि बिभीषन तिन्हहि सिखायो। तिन्ह बहु बिधि मज्जन करवायो ॥

बहु प्रकार भूषन पहिराए। सिबिका रुचिर साजि पुनि ल्याए ॥ ता पर हरषि चढ़ी बैदेही। सुमिरि राम सुखधाम सनेही ॥

बेतपानि रच्छक चहुँ पासा। चले सकल मन परम हुलासा ॥ देखन भालु कीस सब आए। रच्छक कोऽपि निवारन धाए ॥

कह रघुबीर कहा मम मानहु। सीतहि सखा पयादें आनहु ॥ देखहुँ कपि जननी की नाईं। बिहसि कहा रघुनाथ गोसाई ॥

सुनि प्रभु बचन भालु कपि हरषे। नभ ते सुरन्ह सुमन बहु बरषे ॥ सीता प्रथम अनल महुँ राखी। प्रगट कीन्हि चह अंतर साखी ॥

Doha/ दोहा

दो. तेहि कारन करुनानिधि कहे कछुक दुर्बाद। सुनत जातुधानीं सब लागीं करै बिषाद ॥ १०८ ॥

Chaupai / चोपाई

प्रभु के बचन सीस धरि सीता। बोली मन क्रम बचन पुनीता ॥ लछिमन होहु धरम के नेगी। पावक प्रगट करहु तुम्ह बेगी ॥

सुनि लछिमन सीता कै बानी। बिरह बिबेक धरम निति सानी ॥ लोचन सजल जोरि कर दोऊ। प्रभु सन कछु कहि सकत न ओऊ ॥

देखि राम रुख लछिमन धाए। पावक प्रगटि काठ बहु लाए ॥ पावक प्रबल देखि बैदेही। हृदयँ हरष नहिं भय कछु तेही ॥

जौं मन बच क्रम मम उर माहीं। तजि रघुबीर आन गति नाहीं ॥ तौ कृसानु सब कै गति जाना। मो कहुँ होउ श्रीखंड समाना ॥

Chanda / छन्द

छं. श्रीखंड सम पावक प्रबेस कियो सुमिरि प्रभु मैथिली। जय कोसलेस महेस बंदित चरन रति अति निर्मली ॥ प्रतिबिंब अरु लौकिक कलंक प्रचंड पावक महुँ जरे। प्रभु चरित काहुँ न लखे नभ सुर सिद्ध मुनि देखहिं खरे ॥ १ ॥

धरि रूप पावक पानि गहि श्री सत्य श्रुति जग बिदित जो। जिमि छीरसागर इंदिरा रामहि समर्पी आनि सो ॥ सो राम बाम बिभाग राजति रुचिर अति सोभा भली। नव नील नीरज निकट मानहुँ कनक पंकज की कली ॥ २ ॥

Add to Playlist

Practice Later

No Playlist Found

Create a Verse Post


namo namaḥ!

भाषा चुने (Choose Language)

Gyaandweep Gyaandweep

namo namaḥ!

Sign Up to practice more than 60 Vedic Scriptures and 100 of chants, one verse at a time.

Login to track your learning and teaching progress.


Sign In