Ram Charita Manas

Aranyaka Kanda

Jatayu fights with Ravana to save Maa SIta. Keeping Sita in Ashoka Vatika.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

गीधराज सुनि आरत बानी। रघुकुलतिलक नारि पहिचानी ॥ अधम निसाचर लीन्हे जाई। जिमि मलेछ बस कपिला गाई ॥

Chapter : 12 Number : 35

सीते पुत्रि करसि जनि त्रासा। करिहउँ जातुधान कर नासा ॥ धावा क्रोधवंत खग कैसें। छूटइ पबि परबत कहुँ जैसे ॥

Chapter : 12 Number : 35

रे रे दुष्ट ठाढ़ किन होही। निर्भय चलेसि न जानेहि मोही ॥ आवत देखि कृतांत समाना। फिरि दसकंधर कर अनुमाना ॥

Chapter : 12 Number : 35

की मैनाक कि खगपति होई। मम बल जान सहित पति सोई ॥ जाना जरठ जटायू एहा। मम कर तीरथ छाँड़िहि देहा ॥

Chapter : 12 Number : 35

सुनत गीध क्रोधातुर धावा। कह सुनु रावन मोर सिखावा ॥ तजि जानकिहि कुसल गृह जाहू। नाहिं त अस होइहि बहुबाहू ॥

Chapter : 12 Number : 35

राम रोष पावक अति घोरा। होइहि सकल सलभ कुल तोरा ॥ उतरु न देत दसानन जोधा। तबहिं गीध धावा करि क्रोधा ॥

Chapter : 12 Number : 35

धरि कच बिरथ कीन्ह महि गिरा। सीतहि राखि गीध पुनि फिरा ॥ चौचन्ह मारि बिदारेसि देही। दंड एक भइ मुरुछा तेही ॥

Chapter : 12 Number : 35

तब सक्रोध निसिचर खिसिआना। काढ़ेसि परम कराल कृपाना ॥ काटेसि पंख परा खग धरनी। सुमिरि राम करि अदभुत करनी ॥

Chapter : 12 Number : 35

सीतहि जानि चढ़ाइ बहोरी। चला उताइल त्रास न थोरी ॥ करति बिलाप जाति नभ सीता। ब्याध बिबस जनु मृगी सभीता ॥

Chapter : 12 Number : 35

गिरि पर बैठे कपिन्ह निहारी। कहि हरि नाम दीन्ह पट डारी ॥ एहि बिधि सीतहि सो लै गयऊ। बन असोक महँ राखत भयऊ ॥

Chapter : 12 Number : 35

Doha / दोहा

दो. हारि परा खल बहु बिधि भय अरु प्रीति देखाइ। तब असोक पादप तर राखिसि जतन कराइ ॥ २९(क) ॥

Chapter : 12 Number : 36

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