Ram Charita Manas

Aranyaka Kanda

Shurpanakha's approach to Ravana. Shri Rama foresees Maa Sita getting kidnapped and request Maa Sita to Settle in Earth's fire and create a clone of Sita.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

धुआँ देखि खरदूषन केरा। जाइ सुपनखाँ रावन प्रेरा ॥ बोलि बचन क्रोध करि भारी। देस कोस कै सुरति बिसारी ॥

Chapter : 9 Number : 27

करसि पान सोवसि दिनु राती। सुधि नहिं तव सिर पर आराती ॥ राज नीति बिनु धन बिनु धर्मा। हरिहि समर्पे बिनु सतकर्मा ॥

Chapter : 9 Number : 27

बिद्या बिनु बिबेक उपजाएँ। श्रम फल पढ़े किएँ अरु पाएँ ॥ संग ते जती कुमंत्र ते राजा। मान ते ग्यान पान तें लाजा ॥

Chapter : 9 Number : 27

प्रीति प्रनय बिनु मद ते गुनी। नासहि बेगि नीति अस सुनी ॥

Chapter : 9 Number : 27

Sortha / सोरठा

सो. रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि। अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन ॥ २१(क) ॥

Chapter : 9 Number : 28

Doha / दोहा

दो. सभा माझ परि ब्याकुल बहु प्रकार कह रोइ। तोहि जिअत दसकंधर मोरि कि असि गति होइ ॥ २१(ख) ॥

Chapter : 9 Number : 28

Chaupai / चोपाई

सुनत सभासद उठे अकुलाई। समुझाई गहि बाहँ उठाई ॥ कह लंकेस कहसि निज बाता। केँइँ तव नासा कान निपाता ॥

Chapter : 9 Number : 28

अवध नृपति दसरथ के जाए। पुरुष सिंघ बन खेलन आए ॥ समुझि परी मोहि उन्ह कै करनी। रहित निसाचर करिहहिं धरनी ॥

Chapter : 9 Number : 28

जिन्ह कर भुजबल पाइ दसानन। अभय भए बिचरत मुनि कानन ॥ देखत बालक काल समाना। परम धीर धन्वी गुन नाना ॥

Chapter : 9 Number : 28

अतुलित बल प्रताप द्वौ भ्राता। खल बध रत सुर मुनि सुखदाता ॥ सोभाधाम राम अस नामा। तिन्ह के संग नारि एक स्यामा ॥

Chapter : 9 Number : 28

रुप रासि बिधि नारि सँवारी। रति सत कोटि तासु बलिहारी ॥ तासु अनुज काटे श्रुति नासा। सुनि तव भगिनि करहिं परिहासा ॥

Chapter : 9 Number : 28

खर दूषन सुनि लगे पुकारा। छन महुँ सकल कटक उन्ह मारा ॥ खर दूषन तिसिरा कर घाता। सुनि दससीस जरे सब गाता ॥

Chapter : 9 Number : 28

Doha / दोहा

दो. सुपनखहि समुझाइ करि बल बोलेसि बहु भाँति। गयउ भवन अति सोचबस नीद परइ नहिं राति ॥ २२ ॥

Chapter : 9 Number : 29

Chaupai / चोपाई

सुर नर असुर नाग खग माहीं। मोरे अनुचर कहँ कोउ नाहीं ॥ खर दूषन मोहि सम बलवंता। तिन्हहि को मारइ बिनु भगवंता ॥

Chapter : 9 Number : 29

सुर रंजन भंजन महि भारा। जौं भगवंत लीन्ह अवतारा ॥ तौ मै जाइ बैरु हठि करऊँ। प्रभु सर प्रान तजें भव तरऊँ ॥

Chapter : 9 Number : 29

होइहि भजनु न तामस देहा। मन क्रम बचन मंत्र दृढ़ एहा ॥ जौं नररुप भूपसुत कोऊ। हरिहउँ नारि जीति रन दोऊ ॥

Chapter : 9 Number : 29

चला अकेल जान चढि तहवाँ। बस मारीच सिंधु तट जहवाँ ॥ इहाँ राम जसि जुगुति बनाई। सुनहु उमा सो कथा सुहाई ॥

Chapter : 9 Number : 29

Doha / दोहा

दो. लछिमन गए बनहिं जब लेन मूल फल कंद। जनकसुता सन बोले बिहसि कृपा सुख बृंद ॥ २३ ॥

Chapter : 9 Number : 30

Chaupai / चोपाई

सुनहु प्रिया ब्रत रुचिर सुसीला। मैं कछु करबि ललित नरलीला ॥ तुम्ह पावक महुँ करहु निवासा। जौ लगि करौं निसाचर नासा ॥

Chapter : 9 Number : 30

जबहिं राम सब कहा बखानी। प्रभु पद धरि हियँ अनल समानी ॥ निज प्रतिबिंब राखि तहँ सीता। तैसइ सील रुप सुबिनीता ॥

Chapter : 9 Number : 30

लछिमनहूँ यह मरमु न जाना। जो कछु चरित रचा भगवाना ॥ दसमुख गयउ जहाँ मारीचा। नाइ माथ स्वारथ रत नीचा ॥

Chapter : 9 Number : 30

नवनि नीच कै अति दुखदाई। जिमि अंकुस धनु उरग बिलाई ॥ भयदायक खल कै प्रिय बानी। जिमि अकाल के कुसुम भवानी ॥

Chapter : 9 Number : 30

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