ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Chaupai / चोपाई
तेहि अवसर एक तापसु आवा। तेजपुंज लघुबयस सुहावा ॥ कवि अलखित गति बेषु बिरागी। मन क्रम बचन राम अनुरागी ॥
Doha / दोहा
दो. सजल नयन तन पुलकि निज इष्टदेउ पहिचानि। परेउ दंड जिमि धरनितल दसा न जाइ बखानि ॥ ११० ॥
Chaupai / चोपाई
राम सप्रेम पुलकि उर लावा। परम रंक जनु पारसु पावा ॥ मनहुँ प्रेमु परमारथु दोऊ। मिलत धरे तन कह सबु कोऊ ॥
बहुरि लखन पायन्ह सोइ लागा। लीन्ह उठाइ उमगि अनुरागा ॥ पुनि सिय चरन धूरि धरि सीसा। जननि जानि सिसु दीन्हि असीसा ॥
कीन्ह निषाद दंडवत तेही। मिलेउ मुदित लखि राम सनेही ॥ पिअत नयन पुट रूपु पियूषा। मुदित सुअसनु पाइ जिमि भूखा ॥
ते पितु मातु कहहु सखि कैसे। जिन्ह पठए बन बालक ऐसे ॥ राम लखन सिय रूपु निहारी। होहिं सनेह बिकल नर नारी ॥
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