ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Doha / दोहा
दो. सब कें उर अभिलाषु अस कहहिं मनाइ महेसु। आप अछत जुबराज पद रामहि देउ नरेसु ॥ १ ॥
Chaupai / चोपाई
एक समय सब सहित समाजा। राजसभाँ रघुराजु बिराजा ॥ सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू ॥
नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें ॥ तिभुवन तीनि काल जग माहीं। भूरि भाग दसरथ सम नाहीं ॥
मंगलमूल रामु सुत जासू। जो कछु कहिज थोर सबु तासू ॥ रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा। बदनु बिलोकि मुकुट सम कीन्हा ॥
श्रवन समीप भए सित केसा। मनहुँ जरठपनु अस उपदेसा ॥ नृप जुबराज राम कहुँ देहू। जीवन जनम लाहु किन लेहू ॥
Doha / दोहा
दो. यह बिचारु उर आनि नृप सुदिनु सुअवसरु पाइ। प्रेम पुलकि तन मुदित मन गुरहि सुनायउ जाइ ॥ २ ॥
Chaupai / चोपाई
कहइ भुआलु सुनिअ मुनिनायक। भए राम सब बिधि सब लायक ॥ सेवक सचिव सकल पुरबासी। जे हमारे अरि मित्र उदासी ॥
सबहि रामु प्रिय जेहि बिधि मोही। प्रभु असीस जनु तनु धरि सोही ॥ बिप्र सहित परिवार गोसाईं। करहिं छोहु सब रौरिहि नाई ॥
जे गुर चरन रेनु सिर धरहीं। ते जनु सकल बिभव बस करहीं ॥ मोहि सम यहु अनुभयउ न दूजें। सबु पायउँ रज पावनि पूजें ॥
अब अभिलाषु एकु मन मोरें। पूजहि नाथ अनुग्रह तोरें ॥ मुनि प्रसन्न लखि सहज सनेहू। कहेउ नरेस रजायसु देहू ॥
Doha / दोहा
दो. राजन राउर नामु जसु सब अभिमत दातार। फल अनुगामी महिप मनि मन अभिलाषु तुम्हार ॥ ३ ॥
Chaupai / चोपाई
सब बिधि गुरु प्रसन्न जियँ जानी। बोलेउ राउ रहँसि मृदु बानी ॥ नाथ रामु करिअहिं जुबराजू। कहिअ कृपा करि करिअ समाजू ॥
मोहि अछत यहु होइ उछाहू। लहहिं लोग सब लोचन लाहू ॥ प्रभु प्रसाद सिव सबइ निबाहीं। यह लालसा एक मन माहीं ॥
पुनि न सोच तनु रहउ कि जाऊ। जेहिं न होइ पाछें पछिताऊ ॥ सुनि मुनि दसरथ बचन सुहाए। मंगल मोद मूल मन भाए ॥
सुनु नृप जासु बिमुख पछिताहीं। जासु भजन बिनु जरनि न जाहीं ॥ भयउ तुम्हार तनय सोइ स्वामी। रामु पुनीत प्रेम अनुगामी ॥
Doha / दोहा
दो. बेगि बिलंबु न करिअ नृप साजिअ सबुइ समाजु। सुदिन सुमंगलु तबहिं जब रामु होहिं जुबराजु ॥ ४ ॥
Chaupai / चोपाई
मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत्रु बोलाए ॥ कहि जयजीव सीस तिन्ह नाए। भूप सुमंगल बचन सुनाए ॥
जौं पाँचहि मत लागै नीका। करहु हरषि हियँ रामहि टीका ॥ मंत्री मुदित सुनत प्रिय बानी। अभिमत बिरवँ परेउ जनु पानी ॥
बिनती सचिव करहि कर जोरी। जिअहु जगतपति बरिस करोरी ॥ जग मंगल भल काजु बिचारा। बेगिअ नाथ न लाइअ बारा ॥
नृपहि मोदु सुनि सचिव सुभाषा। बढ़त बौंड़ जनु लही सुसाखा ॥
Doha / दोहा
दो. कहेउ भूप मुनिराज कर जोइ जोइ आयसु होइ। राम राज अभिषेक हित बेगि करहु सोइ सोइ ॥ ५ ॥
Chaupai / चोपाई
हरषि मुनीस कहेउ मृदु बानी। आनहु सकल सुतीरथ पानी ॥ औषध मूल फूल फल पाना। कहे नाम गनि मंगल नाना ॥
चामर चरम बसन बहु भाँती। रोम पाट पट अगनित जाती ॥ मनिगन मंगल बस्तु अनेका। जो जग जोगु भूप अभिषेका ॥
बेद बिदित कहि सकल बिधाना। कहेउ रचहु पुर बिबिध बिताना ॥ सफल रसाल पूगफल केरा। रोपहु बीथिन्ह पुर चहुँ फेरा ॥
रचहु मंजु मनि चौकें चारू। कहहु बनावन बेगि बजारू ॥ पूजहु गनपति गुर कुलदेवा। सब बिधि करहु भूमिसुर सेवा ॥
Doha / दोहा
दो. ध्वज पताक तोरन कलस सजहु तुरग रथ नाग। सिर धरि मुनिबर बचन सबु निज निज काजहिं लाग ॥ ६ ॥
Chaupai / चोपाई
जो मुनीस जेहि आयसु दीन्हा। सो तेहिं काजु प्रथम जनु कीन्हा ॥ बिप्र साधु सुर पूजत राजा। करत राम हित मंगल काजा ॥
सुनत राम अभिषेक सुहावा। बाज गहागह अवध बधावा ॥ राम सीय तन सगुन जनाए। फरकहिं मंगल अंग सुहाए ॥
पुलकि सप्रेम परसपर कहहीं। भरत आगमनु सूचक अहहीं ॥ भए बहुत दिन अति अवसेरी। सगुन प्रतीति भेंट प्रिय केरी ॥
भरत सरिस प्रिय को जग माहीं। इहइ सगुन फलु दूसर नाहीं ॥ रामहि बंधु सोच दिन राती। अंडन्हि कमठ ह्रदउ जेहि भाँती ॥
Doha / दोहा
दो. एहि अवसर मंगलु परम सुनि रहँसेउ रनिवासु। सोभत लखि बिधु बढ़त जनु बारिधि बीचि बिलासु ॥ ७ ॥
Chaupai / चोपाई
प्रथम जाइ जिन्ह बचन सुनाए। भूषन बसन भूरि तिन्ह पाए ॥ प्रेम पुलकि तन मन अनुरागीं। मंगल कलस सजन सब लागीं ॥
चौकें चारु सुमित्राँ पुरी। मनिमय बिबिध भाँति अति रुरी ॥ आनँद मगन राम महतारी। दिए दान बहु बिप्र हँकारी ॥
पूजीं ग्रामदेबि सुर नागा। कहेउ बहोरि देन बलिभागा ॥ जेहि बिधि होइ राम कल्यानू। देहु दया करि सो बरदानू ॥
गावहिं मंगल कोकिलबयनीं। बिधुबदनीं मृगसावकनयनीं ॥
Doha / दोहा
दो. राम राज अभिषेकु सुनि हियँ हरषे नर नारि। लगे सुमंगल सजन सब बिधि अनुकूल बिचारि ॥ ८ ॥
Chaupai / चोपाई
तब नरनाहँ बसिष्ठु बोलाए। रामधाम सिख देन पठाए ॥ गुर आगमनु सुनत रघुनाथा। द्वार आइ पद नायउ माथा ॥
सादर अरघ देइ घर आने। सोरह भाँति पूजि सनमाने ॥ गहे चरन सिय सहित बहोरी। बोले रामु कमल कर जोरी ॥
सेवक सदन स्वामि आगमनू। मंगल मूल अमंगल दमनू ॥ तदपि उचित जनु बोलि सप्रीती। पठइअ काज नाथ असि नीती ॥
प्रभुता तजि प्रभु कीन्ह सनेहू। भयउ पुनीत आजु यहु गेहू ॥ आयसु होइ सो करौं गोसाई। सेवक लहइ स्वामि सेवकाई ॥
Doha / दोहा
दो. सुनि सनेह साने बचन मुनि रघुबरहि प्रसंस। राम कस न तुम्ह कहहु अस हंस बंस अवतंस ॥ ९ ॥
Chaupai / चोपाई
बरनि राम गुन सीलु सुभाऊ। बोले प्रेम पुलकि मुनिराऊ ॥ भूप सजेउ अभिषेक समाजू। चाहत देन तुम्हहि जुबराजू ॥
राम करहु सब संजम आजू। जौं बिधि कुसल निबाहै काजू ॥ गुरु सिख देइ राय पहिं गयउ। राम हृदयँ अस बिसमउ भयऊ ॥
जनमे एक संग सब भाई। भोजन सयन केलि लरिकाई ॥ करनबेध उपबीत बिआहा। संग संग सब भए उछाहा ॥
बिमल बंस यहु अनुचित एकू। बंधु बिहाइ बड़ेहि अभिषेकू ॥ प्रभु सप्रेम पछितानि सुहाई। हरउ भगत मन कै कुटिलाई ॥
Doha / दोहा
दो. तेहि अवसर आए लखन मगन प्रेम आनंद। सनमाने प्रिय बचन कहि रघुकुल कैरव चंद ॥ १० ॥
Chaupai / चोपाई
बाजहिं बाजने बिबिध बिधाना। पुर प्रमोदु नहिं जाइ बखाना ॥ भरत आगमनु सकल मनावहिं। आवहुँ बेगि नयन फलु पावहिं ॥
हाट बाट घर गलीं अथाई। कहहिं परसपर लोग लोगाई ॥ कालि लगन भलि केतिक बारा। पूजिहि बिधि अभिलाषु हमारा ॥
कनक सिंघासन सीय समेता। बैठहिं रामु होइ चित चेता ॥ सकल कहहिं कब होइहि काली। बिघन मनावहिं देव कुचाली ॥
तिन्हहि सोहाइ न अवध बधावा। चोरहि चंदिनि राति न भावा ॥ सारद बोलि बिनय सुर करहीं। बारहिं बार पाय लै परहीं ॥
Doha / दोहा
दो. बिपति हमारि बिलोकि बड़ि मातु करिअ सोइ आजु। रामु जाहिं बन राजु तजि होइ सकल सुरकाजु ॥ ११ ॥
Chaupai / चोपाई
सुनि सुर बिनय ठाढ़ि पछिताती। भइउँ सरोज बिपिन हिमराती ॥ देखि देव पुनि कहहिं निहोरी। मातु तोहि नहिं थोरिउ खोरी ॥
बिसमय हरष रहित रघुराऊ। तुम्ह जानहु सब राम प्रभाऊ ॥ जीव करम बस सुख दुख भागी। जाइअ अवध देव हित लागी ॥
बार बार गहि चरन सँकोचौ। चली बिचारि बिबुध मति पोची ॥ ऊँच निवासु नीचि करतूती। देखि न सकहिं पराइ बिभूती ॥
आगिल काजु बिचारि बहोरी। करहहिं चाह कुसल कबि मोरी ॥ हरषि हृदयँ दसरथ पुर आई। जनु ग्रह दसा दुसह दुखदाई ॥
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