Ram Charita Manas

Ayodhya-Kanda

RishiMuni Vashishtha sends a messenger to call Bharata.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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संस्कृत्म
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ॐ श्री गणेशाय नमः

Doha / दोहा

दो. तब बसिष्ठ मुनि समय सम कहि अनेक इतिहास। सोक नेवारेउ सबहि कर निज बिग्यान प्रकास ॥ १५६ ॥

Chapter : 25 Number : 164

Chaupai / चोपाई

तेल नाँव भरि नृप तनु राखा। दूत बोलाइ बहुरि अस भाषा ॥ धावहु बेगि भरत पहिं जाहू। नृप सुधि कतहुँ कहहु जनि काहू ॥

Chapter : 25 Number : 164

एतनेइ कहेहु भरत सन जाई। गुर बोलाई पठयउ दोउ भाई ॥ सुनि मुनि आयसु धावन धाए। चले बेग बर बाजि लजाए ॥

Chapter : 25 Number : 164

अनरथु अवध अरंभेउ जब तें। कुसगुन होहिं भरत कहुँ तब तें ॥ देखहिं राति भयानक सपना। जागि करहिं कटु कोटि कलपना ॥

Chapter : 25 Number : 164

बिप्र जेवाँइ देहिं दिन दाना। सिव अभिषेक करहिं बिधि नाना ॥ मागहिं हृदयँ महेस मनाई। कुसल मातु पितु परिजन भाई ॥

Chapter : 25 Number : 164

Doha / दोहा

दो. एहि बिधि सोचत भरत मन धावन पहुँचे आइ। गुर अनुसासन श्रवन सुनि चले गनेसु मनाइ ॥ १५७ ॥

Chapter : 25 Number : 165

Chaupai / चोपाई

चले समीर बेग हय हाँके। नाघत सरित सैल बन बाँके ॥ हृदयँ सोचु बड़ कछु न सोहाई। अस जानहिं जियँ जाउँ उड़ाई ॥

Chapter : 25 Number : 165

एक निमेष बरस सम जाई। एहि बिधि भरत नगर निअराई ॥ असगुन होहिं नगर पैठारा। रटहिं कुभाँति कुखेत करारा ॥

Chapter : 25 Number : 165

खर सिआर बोलहिं प्रतिकूला। सुनि सुनि होइ भरत मन सूला ॥ श्रीहत सर सरिता बन बागा। नगरु बिसेषि भयावनु लागा ॥

Chapter : 25 Number : 165

खग मृग हय गय जाहिं न जोए। राम बियोग कुरोग बिगोए ॥ नगर नारि नर निपट दुखारी। मनहुँ सबन्हि सब संपति हारी ॥

Chapter : 25 Number : 165

Doha / दोहा

दो. पुरजन मिलिहिं न कहहिं कछु गवँहिं जोहारहिं जाहिं। भरत कुसल पूँछि न सकहिं भय बिषाद मन माहिं ॥ १५८ ॥

Chapter : 25 Number : 166

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