ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Chaupai / चोपाई
बंदउँ नाम राम रघुवर को । हेतु कृसानु भानु हिमकर को ॥ बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो । अगुन अनूपम गुन निधान सो ॥
महामंत्र जोइ जपत महेसू । कासीं मुकुति हेतु उपदेसू ॥ महिमा जासु जान गनराउ । प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ ॥
जान आदिकबि नाम प्रतापू । भयउ सुद्ध करि उलटा जापू ॥ सहस नाम सम सुनि सिव बानी । जपि जेई पिय संग भवानी ॥
हरषे हेतु हेरि हर ही को । किय भूषन तिय भूषन ती को ॥ नाम प्रभाउ जान सिव नीको । कालकूट फलु दीन्ह अमी को ॥
Doha / दोहा
दो. बरषा रितु रघुपति भगति तुलसी सालि सुदास ॥ राम नाम बर बरन जुग सावन भादव मास ॥ १९ ॥
Chaupai / चोपाई
आखर मधुर मनोहर दोऊ । बरन बिलोचन जन जिय जोऊ ॥ सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू । लोक लाहु परलोक निबाहू ॥
कहत सुनत सुमिरत सुठि नीके । राम लखन सम प्रिय तुलसी के ॥ बरनत बरन प्रीति बिलगाती । ब्रह्म जीव सम सहज सँघाती ॥
नर नारायन सरिस सुभ्राता । जग पालक बिसेषि जन त्राता ॥ भगति सुतिय कल करन बिभूषन । जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन ।
स्वाद तोष सम सुगति सुधा के । कमठ सेष सम धर बसुधा के ॥ जन मन मंजु कंज मधुकर से । जीह जसोमति हरि हलधर से ॥
Doha / दोहा
दो. एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ । तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ ॥ २० ॥
Chaupai / चोपाई
समुझत सरिस नाम अरु नामी । प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥ नाम रूप दुइ ईस उपाधी । अकथ अनादि सुसामुझि साधी ॥
को बड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू ॥ देखिअहिं रूप नाम आधीना । रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना ॥
रूप बिसेष नाम बिनु जानें । करतल गत न परहिं पहिचानें ॥ सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें । आवत हृदयँ सनेह बिसेषें ॥
नाम रूप गति अकथ कहानी । समुझत सुखद न परति बखानी ॥ अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी । उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी ॥
Doha / दोहा
दो. राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार । तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ॥ २१ ॥
Chaupai / चोपाई
नाम जीहँ जपि जागहिं जोगी । बिरति बिरंचि प्रपंच बियोगी ॥ ब्रह्मसुखहि अनुभवहिं अनूपा । अकथ अनामय नाम न रूपा ॥
जाना चहहिं गूढ़ गति जेऊ । नाम जीहँ जपि जानहिं तेऊ ॥ साधक नाम जपहिं लय लाएँ । होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ ॥
जपहिं नामु जन आरत भारी । मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ॥ राम भगत जग चारि प्रकारा । सुकृती चारिउ अनघ उदारा ॥
चहू चतुर कहुँ नाम अधारा । ग्यानी प्रभुहि बिसेषि पिआरा ॥ चहुँ जुग चहुँ श्रुति ना प्रभाऊ । कलि बिसेषि नहिं आन उपाऊ ॥
Doha / दोहा
दो. सकल कामना हीन जे राम भगति रस लीन । नाम सुप्रेम पियूष हद तिन्हहुँ किए मन मीन ॥ २२ ॥
Chaupai / चोपाई
अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरूपा । अकथ अगाध अनादि अनूपा ॥ मोरें मत बड़ नामु दुहू तें । किए जेहिं जुग निज बस निज बूतें ॥
प्रोढ़ि सुजन जनि जानहिं जन की । कहउँ प्रतीति प्रीति रुचि मन की ॥ एकु दारुगत देखिअ एकू । पावक सम जुग ब्रह्म बिबेकू ॥
उभय अगम जुग सुगम नाम तें । कहेउँ नामु बड़ ब्रह्म राम तें ॥ ब्यापकु एकु ब्रह्म अबिनासी । सत चेतन धन आनँद रासी ॥
अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी । सकल जीव जग दीन दुखारी ॥ नाम निरूपन नाम जतन तें । सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें ॥
Doha / दोहा
दो. निरगुन तें एहि भाँति बड़ नाम प्रभाउ अपार । कहउँ नामु बड़ राम तें निज बिचार अनुसार ॥ २३ ॥
Chaupai / चोपाई
राम भगत हित नर तनु धारी । सहि संकट किए साधु सुखारी ॥ नामु सप्रेम जपत अनयासा । भगत होहिं मुद मंगल बासा ॥
राम एक तापस तिय तारी । नाम कोटि खल कुमति सुधारी ॥ रिषि हित राम सुकेतुसुता की । सहित सेन सुत कीन्ह बिबाकी ॥
सहित दोष दुख दास दुरासा । दलइ नामु जिमि रबि निसि नासा ॥ भंजेउ राम आपु भव चापू । भव भय भंजन नाम प्रतापू ॥
दंडक बनु प्रभु कीन्ह सुहावन । जन मन अमित नाम किए पावन ॥ । निसिचर निकर दले रघुनंदन । नामु सकल कलि कलुष निकंदन ॥
Doha / दोहा
दो. सबरी गीध सुसेवकनि सुगति दीन्हि रघुनाथ । नाम उधारे अमित खल बेद बिदित गुन गाथ ॥ २४ ॥
Chaupai / चोपाई
राम सुकंठ बिभीषन दोऊ । राखे सरन जान सबु कोऊ ॥ नाम गरीब अनेक नेवाजे । लोक बेद बर बिरिद बिराजे ॥
राम भालु कपि कटकु बटोरा । सेतु हेतु श्रमु कीन्ह न थोरा ॥ नामु लेत भवसिंधु सुखाहीं । करहु बिचारु सुजन मन माहीं ॥
राम सकुल रन रावनु मारा । सीय सहित निज पुर पगु धारा ॥ राजा रामु अवध रजधानी । गावत गुन सुर मुनि बर बानी ॥
सेवक सुमिरत नामु सप्रीती । बिनु श्रम प्रबल मोह दलु जीती ॥ फिरत सनेहँ मगन सुख अपनें । नाम प्रसाद सोच नहिं सपनें ॥
Doha / दोहा
दो. ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि । रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि ॥ २५ ॥
Chaupai / चोपाई
नाम प्रसाद संभु अबिनासी । साजु अमंगल मंगल रासी ॥ सुक सनकादि सिद्ध मुनि जोगी । नाम प्रसाद ब्रह्मसुख भोगी ॥
नारद जानेउ नाम प्रतापू । जग प्रिय हरि हरि हर प्रिय आपू ॥ नामु जपत प्रभु कीन्ह प्रसादू । भगत सिरोमनि भे प्रहलादू ॥
ध्रुवँ सगलानि जपेउ हरि नाऊँ । पायउ अचल अनूपम ठाऊँ ॥ सुमिरि पवनसुत पावन नामू । अपने बस करि राखे रामू ॥
अपतु अजामिलु गजु गनिकाऊ । भए मुकुत हरि नाम प्रभाऊ ॥ कहौं कहाँ लगि नाम बड़ाई । रामु न सकहिं नाम गुन गाई ॥
Doha / दोहा
दो. नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु । जो सुमिरत भयो भाँग तें तुलसी तुलसीदासु ॥ २६ ॥
Chaupai / चोपाई
चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका । भए नाम जपि जीव बिसोका ॥ बेद पुरान संत मत एहू । सकल सुकृत फल राम सनेहू ॥
ध्यानु प्रथम जुग मखबिधि दूजें । द्वापर परितोषत प्रभु पूजें ॥ कलि केवल मल मूल मलीना । पाप पयोनिधि जन जन मीना ॥
नाम कामतरु काल कराला । सुमिरत समन सकल जग जाला ॥ राम नाम कलि अभिमत दाता । हित परलोक लोक पितु माता ॥
नहिं कलि करम न भगति बिबेकू । राम नाम अवलंबन एकू ॥ कालनेमि कलि कपट निधानू । नाम सुमति समरथ हनुमानू ॥
Doha / दोहा
दो. राम नाम नरकेसरी कनककसिपु कलिकाल । जापक जन प्रहलाद जिमि पालिहि दलि सुरसाल ॥ २७ ॥
Chaupai / चोपाई
भायँ कुभायँ अनख आलसहूँ । नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ॥ सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा । करउँ नाइ रघुनाथहि माथा ॥
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