ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Doha / दोहा
अब रघुपति पद पंकरुह हियँ धरि पाइ प्रसाद । कहउँ जुगल मुनिबर्ज कर मिलन सुभग संबाद ॥ ४३(ख) ॥
Chaupai / चोपाई
भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा । तिन्हहि राम पद अति अनुरागा ॥ तापस सम दम दया निधाना । परमारथ पथ परम सुजाना ॥
माघ मकरगत रबि जब होई । तीरथपतिहिं आव सब कोई ॥ देव दनुज किंनर नर श्रेनी । सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं ॥
पूजहि माधव पद जलजाता । परसि अखय बटु हरषहिं गाता ॥ भरद्वाज आश्रम अति पावन । परम रम्य मुनिबर मन भावन ॥
तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा । जाहिं जे मज्जन तीरथराजा ॥ मज्जहिं प्रात समेत उछाहा । कहहिं परसपर हरि गुन गाहा ॥
Doha / दोहा
दो. ब्रह्म निरूपम धरम बिधि बरनहिं तत्त्व बिभाग । कहहिं भगति भगवंत कै संजुत ग्यान बिराग ॥ ४४ ॥
Chaupai / चोपाई
एहि प्रकार भरि माघ नहाहीं । पुनि सब निज निज आश्रम जाहीं ॥ प्रति संबत अति होइ अनंदा । मकर मज्जि गवनहिं मुनिबृंदा ॥
एक बार भरि मकर नहाए । सब मुनीस आश्रमन्ह सिधाए ॥ जगबालिक मुनि परम बिबेकी । भरव्दाज राखे पद टेकी ॥
सादर चरन सरोज पखारे । अति पुनीत आसन बैठारे ॥ करि पूजा मुनि सुजस बखानी । बोले अति पुनीत मृदु बानी ॥
नाथ एक संसउ बड़ मोरें । करगत बेदतत्व सबु तोरें ॥ कहत सो मोहि लागत भय लाजा । जौ न कहउँ बड़ होइ अकाजा ॥
Doha / दोहा
दो. संत कहहि असि नीति प्रभु श्रुति पुरान मुनि गाव । होइ न बिमल बिबेक उर गुर सन किएँ दुराव ॥ ४५ ॥
Chaupai / चोपाई
अस बिचारि प्रगटउँ निज मोहू । हरहु नाथ करि जन पर छोहू ॥ रास नाम कर अमित प्रभावा । संत पुरान उपनिषद गावा ॥
संतत जपत संभु अबिनासी । सिव भगवान ग्यान गुन रासी ॥ आकर चारि जीव जग अहहीं । कासीं मरत परम पद लहहीं ॥
सोऽपि राम महिमा मुनिराया । सिव उपदेसु करत करि दाया ॥ रामु कवन प्रभु पूछउँ तोही । कहिअ बुझाइ कृपानिधि मोही ॥
एक राम अवधेस कुमारा । तिन्ह कर चरित बिदित संसारा ॥ नारि बिरहँ दुखु लहेउ अपारा । भयहु रोषु रन रावनु मारा ॥
Doha / दोहा
दो. प्रभु सोइ राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरारि । सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि ॥ ४६ ॥
Chaupai / चोपाई
जैसे मिटै मोर भ्रम भारी । कहहु सो कथा नाथ बिस्तारी ॥ जागबलिक बोले मुसुकाई । तुम्हहि बिदित रघुपति प्रभुताई ॥
राममगत तुम्ह मन क्रम बानी । चतुराई तुम्हारी मैं जानी ॥ चाहहु सुनै राम गुन गूढ़ा । कीन्हिहु प्रस्न मनहुँ अति मूढ़ा ॥
तात सुनहु सादर मनु लाई । कहउँ राम कै कथा सुहाई ॥ महामोहु महिषेसु बिसाला । रामकथा कालिका कराला ॥
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