ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Doha / दोहा
दो. अब तें रति तव नाथ कर होइहि नामु अनंगु । बिनु बपु ब्यापिहि सबहि पुनि सुनु निज मिलन प्रसंगु ॥ ८७ ॥
Chaupai / चोपाई
जब जदुबंस कृष्न अवतारा । होइहि हरन महा महिभारा ॥ कृष्न तनय होइहि पति तोरा । बचनु अन्यथा होइ न मोरा ॥
रति गवनी सुनि संकर बानी । कथा अपर अब कहउँ बखानी ॥ देवन्ह समाचार सब पाए । ब्रह्मादिक बैकुंठ सिधाए ॥
सब सुर बिष्नु बिरंचि समेता । गए जहाँ सिव कृपानिकेता ॥ पृथक पृथक तिन्ह कीन्हि प्रसंसा । भए प्रसन्न चंद्र अवतंसा ॥
बोले कृपासिंधु बृषकेतू । कहहु अमर आए केहि हेतू ॥ कह बिधि तुम्ह प्रभु अंतरजामी । तदपि भगति बस बिनवउँ स्वामी ॥
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