ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Doha / दोहा
दो. जानि सभय सुरभूमि सुनि बचन समेत सनेह । गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह ॥ १८६ ॥
Chaupai / चोपाई
जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा । तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा ॥ अंसन्ह सहित मनुज अवतारा । लेहउँ दिनकर बंस उदारा ॥
कस्यप अदिति महातप कीन्हा । तिन्ह कहुँ मैं पूरब बर दीन्हा ॥ ते दसरथ कौसल्या रूपा । कोसलपुरीं प्रगट नरभूपा ॥
तिन्ह के गृह अवतरिहउँ जाई । रघुकुल तिलक सो चारिउ भाई ॥ नारद बचन सत्य सब करिहउँ । परम सक्ति समेत अवतरिहउँ ॥
हरिहउँ सकल भूमि गरुआई । निर्भय होहु देव समुदाई ॥ गगन ब्रह्मबानी सुनी काना । तुरत फिरे सुर हृदय जुड़ाना ॥
तब ब्रह्मा धरनिहि समुझावा । अभय भई भरोस जियँ आवा ॥
Doha / दोहा
दो. निज लोकहि बिरंचि गे देवन्ह इहइ सिखाइ । बानर तनु धरि धरि महि हरि पद सेवहु जाइ ॥ १८७ ॥
Chaupai / चोपाई
गए देव सब निज निज धामा । भूमि सहित मन कहुँ बिश्रामा । जो कछु आयसु ब्रह्माँ दीन्हा । हरषे देव बिलंब न कीन्हा ॥
बनचर देह धरि छिति माहीं । अतुलित बल प्रताप तिन्ह पाहीं ॥ गिरि तरु नख आयुध सब बीरा । हरि मारग चितवहिं मतिधीरा ॥
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