Ram Charita Manas

Bala-Kanda

King Dasaratha's Putreshti Yagya, his queens getting pregnant.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

गिरि कानन जहँ तहँ भरि पूरी । रहे निज निज अनीक रचि रूरी ॥ यह सब रुचिर चरित मैं भाषा । अब सो सुनहु जो बीचहिं राखा ॥

Chapter : 37 Number : 207

अवधपुरीं रघुकुलमनि राऊ । बेद बिदित तेहि दसरथ नाऊँ ॥ धरम धुरंधर गुननिधि ग्यानी । हृदयँ भगति मति सारँगपानी ॥

Chapter : 37 Number : 207

Doha / दोहा

दो. कौसल्यादि नारि प्रिय सब आचरन पुनीत । पति अनुकूल प्रेम दृढ़ हरि पद कमल बिनीत ॥ १८८ ॥

Chapter : 37 Number : 208

Chaupai / चोपाई

एक बार भूपति मन माहीं । भै गलानि मोरें सुत नाहीं ॥ गुर गृह गयउ तुरत महिपाला । चरन लागि करि बिनय बिसाला ॥

Chapter : 37 Number : 208

निज दुख सुख सब गुरहि सुनायउ । कहि बसिष्ठ बहुबिधि समुझायउ ॥ धरहु धीर होइहहिं सुत चारी । त्रिभुवन बिदित भगत भय हारी ॥

Chapter : 37 Number : 208

सृंगी रिषहि बसिष्ठ बोलावा । पुत्रकाम सुभ जग्य करावा ॥ भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें । प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें ॥

Chapter : 37 Number : 208

जो बसिष्ठ कछु हृदयँ बिचारा । सकल काजु भा सिद्ध तुम्हारा ॥ यह हबि बाँटि देहु नृप जाई । जथा जोग जेहि भाग बनाई ॥

Chapter : 37 Number : 208

Doha / दोहा

दो. तब अदृस्य भए पावक सकल सभहि समुझाइ ॥ परमानंद मगन नृप हरष न हृदयँ समाइ ॥ १८९ ॥

Chapter : 37 Number : 209

Chaupai / चोपाई

तबहिं रायँ प्रिय नारि बोलाईं । कौसल्यादि तहाँ चलि आई ॥ अर्ध भाग कौसल्याहि दीन्हा । उभय भाग आधे कर कीन्हा ॥

Chapter : 37 Number : 209

कैकेई कहँ नृप सो दयऊ । रह्यो सो उभय भाग पुनि भयऊ ॥ कौसल्या कैकेई हाथ धरि । दीन्ह सुमित्रहि मन प्रसन्न करि ॥

Chapter : 37 Number : 209

एहि बिधि गर्भसहित सब नारी । भईं हृदयँ हरषित सुख भारी ॥ जा दिन तें हरि गर्भहिं आए । सकल लोक सुख संपति छाए ॥

Chapter : 37 Number : 209

मंदिर महँ सब राजहिं रानी । सोभा सील तेज की खानीं ॥ सुख जुत कछुक काल चलि गयऊ । जेहिं प्रभु प्रगट सो अवसर भयऊ ॥

Chapter : 37 Number : 209

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