ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Chaupai / चोपाई
कह सुग्रीव सुनहु रघुबीरा। बालि महाबल अति रनधीरा ॥ दुंदुभी अस्थि ताल देखराए। बिनु प्रयास रघुनाथ ढहाए ॥
देखि अमित बल बाढ़ी प्रीती। बालि बधब इन्ह भइ परतीती ॥ बार बार नावइ पद सीसा। प्रभुहि जानि मन हरष कपीसा ॥
उपजा ग्यान बचन तब बोला। नाथ कृपाँ मन भयउ अलोला ॥ सुख संपति परिवार बड़ाई। सब परिहरि करिहउँ सेवकाई ॥
ए सब रामभगति के बाधक। कहहिं संत तब पद अवराधक ॥ सत्रु मित्र सुख दुख जग माहीं। माया कृत परमारथ नाहीं ॥
बालि परम हित जासु प्रसादा। मिलेहु राम तुम्ह समन बिषादा ॥ सपनें जेहि सन होइ लराई। जागें समुझत मन सकुचाई ॥
अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँती। सब तजि भजनु करौं दिन राती ॥ सुनि बिराग संजुत कपि बानी। बोले बिहँसि रामु धनुपानी ॥
जो कछु कहेहु सत्य सब सोई। सखा बचन मम मृषा न होई ॥ नट मरकट इव सबहि नचावत। रामु खगेस बेद अस गावत ॥
लै सुग्रीव संग रघुनाथा। चले चाप सायक गहि हाथा ॥ तब रघुपति सुग्रीव पठावा। गर्जेसि जाइ निकट बल पावा ॥
सुनत बालि क्रोधातुर धावा। गहि कर चरन नारि समुझावा ॥ सुनु पति जिन्हहि मिलेउ सुग्रीवा। ते द्वौ बंधु तेज बल सींवा ॥
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