Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Dialogue between Angad and Shri Ram, preparations for war begins in both camps.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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संस्कृत्म
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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

इहाँ राम अंगदहि बोलावा। आइ चरन पंकज सिरु नावा ॥ अति आदर सपीप बैठारी। बोले बिहँसि कृपाल खरारी ॥

Chapter : 10 Number : 39

बालितनय कौतुक अति मोही। तात सत्य कहु पूछउँ तोही ॥ ।रावनु जातुधान कुल टीका। भुज बल अतुल जासु जग लीका ॥

Chapter : 10 Number : 39

तासु मुकुट तुम्ह चारि चलाए। कहहु तात कवनी बिधि पाए ॥ सुनु सर्बग्य प्रनत सुखकारी। मुकुट न होहिं भूप गुन चारी ॥

Chapter : 10 Number : 39

साम दान अरु दंड बिभेदा। नृप उर बसहिं नाथ कह बेदा ॥ नीति धर्म के चरन सुहाए। अस जियँ जानि नाथ पहिं आए ॥

Chapter : 10 Number : 39

Doha/ दोहा

दो. धर्महीन प्रभु पद बिमुख काल बिबस दससीस। तेहि परिहरि गुन आए सुनहु कोसलाधीस ॥ ३८(((क) ॥

Chapter : 10 Number : 40

परम चतुरता श्रवन सुनि बिहँसे रामु उदार। समाचार पुनि सब कहे गढ़ के बालिकुमार ॥ ३८(ख) ॥

Chapter : 10 Number : 40

Chaupai / चोपाई

रिपु के समाचार जब पाए। राम सचिव सब निकट बोलाए ॥ लंका बाँके चारि दुआरा। केहि बिधि लागिअ करहु बिचारा ॥

Chapter : 10 Number : 40

तब कपीस रिच्छेस बिभीषन। सुमिरि हृदयँ दिनकर कुल भूषन ॥ करि बिचार तिन्ह मंत्र दृढ़ावा। चारि अनी कपि कटकु बनावा ॥

Chapter : 10 Number : 40

जथाजोग सेनापति कीन्हे। जूथप सकल बोलि तब लीन्हे ॥ प्रभु प्रताप कहि सब समुझाए। सुनि कपि सिंघनाद करि धाए ॥

Chapter : 10 Number : 40

हरषित राम चरन सिर नावहिं। गहि गिरि सिखर बीर सब धावहिं ॥ गर्जहिं तर्जहिं भालु कपीसा। जय रघुबीर कोसलाधीसा ॥

Chapter : 10 Number : 40

जानत परम दुर्ग अति लंका। प्रभु प्रताप कपि चले असंका ॥ घटाटोप करि चहुँ दिसि घेरी। मुखहिं निसान बजावहीं भेरी ॥

Chapter : 10 Number : 40

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namo namaḥ!

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