Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Hanuman bringing Sushena Vaidya and going for Sanjivani Booti, dialogue between Kalnemi and Ravana, Hanuman rescuing Makri and Kalnemi from the rivers.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

जामवंत कह बैद सुषेना। लंकाँ रहइ को पठई लेना ॥ धरि लघु रूप गयउ हनुमंता। आनेउ भवन समेत तुरंता ॥

Chapter : 14 Number : 58

Doha/ दोहा

दो. राम पदारबिंद सिर नायउ आइ सुषेन। कहा नाम गिरि औषधी जाहु पवनसुत लेन ॥ ५५ ॥

Chapter : 14 Number : 59

Chaupai / चोपाई

राम चरन सरसिज उर राखी। चला प्रभंजन सुत बल भाषी ॥ उहाँ दूत एक मरमु जनावा। रावन कालनेमि गृह आवा ॥

Chapter : 14 Number : 59

दसमुख कहा मरमु तेहिं सुना। पुनि पुनि कालनेमि सिरु धुना ॥ देखत तुम्हहि नगरु जेहिं जारा। तासु पंथ को रोकन पारा ॥

Chapter : 14 Number : 59

भजि रघुपति करु हित आपना। छाँड़हु नाथ मृषा जल्पना ॥ नील कंज तनु सुंदर स्यामा। हृदयँ राखु लोचनाभिरामा ॥

Chapter : 14 Number : 59

मैं तैं मोर मूढ़ता त्यागू। महा मोह निसि सूतत जागू ॥ काल ब्याल कर भच्छक जोई। सपनेहुँ समर कि जीतिअ सोई ॥

Chapter : 14 Number : 59

Doha/ दोहा

दो. सुनि दसकंठ रिसान अति तेहिं मन कीन्ह बिचार। राम दूत कर मरौं बरु यह खल रत मल भार ॥ ५६ ॥

Chapter : 14 Number : 60

Chaupai / चोपाई

अस कहि चला रचिसि मग माया। सर मंदिर बर बाग बनाया ॥ मारुतसुत देखा सुभ आश्रम। मुनिहि बूझि जल पियौं जाइ श्रम ॥

Chapter : 14 Number : 60

राच्छस कपट बेष तहँ सोहा। मायापति दूतहि चह मोहा ॥ जाइ पवनसुत नायउ माथा। लाग सो कहै राम गुन गाथा ॥

Chapter : 14 Number : 60

होत महा रन रावन रामहिं। जितहहिं राम न संसय या महिं ॥ इहाँ भएँ मैं देखेउँ भाई। ग्यान दृष्टि बल मोहि अधिकाई ॥

Chapter : 14 Number : 60

मागा जल तेहिं दीन्ह कमंडल। कह कपि नहिं अघाउँ थोरें जल ॥ सर मज्जन करि आतुर आवहु। दिच्छा देउँ ग्यान जेहिं पावहु ॥

Chapter : 14 Number : 60

Doha/ दोहा

दो. सर पैठत कपि पद गहा मकरीं तब अकुलान। मारी सो धरि दिव्य तनु चली गगन चढ़ि जान ॥ ५७ ॥

Chapter : 14 Number : 61

Chaupai / चोपाई

कपि तव दरस भइउँ निष्पापा। मिटा तात मुनिबर कर सापा ॥ मुनि न होइ यह निसिचर घोरा। मानहु सत्य बचन कपि मोरा ॥

Chapter : 14 Number : 61

अस कहि गई अपछरा जबहीं। निसिचर निकट गयउ कपि तबहीं ॥ कह कपि मुनि गुरदछिना लेहू। पाछें हमहि मंत्र तुम्ह देहू ॥

Chapter : 14 Number : 61

सिर लंगूर लपेटि पछारा। निज तनु प्रगटेसि मरती बारा ॥ राम राम कहि छाड़ेसि प्राना। सुनि मन हरषि चलेउ हनुमाना ॥

Chapter : 14 Number : 61

देखा सैल न औषध चीन्हा। सहसा कपि उपारि गिरि लीन्हा ॥ गहि गिरि निसि नभ धावत भयऊ। अवधपुरी उपर कपि गयऊ ॥

Chapter : 14 Number : 61

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