Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Shri Ram's laments seeing laxmana unconscious, Hanuman's return with an entire mountain and Laxman awakening after administration of Sanjeevani booti.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

उहाँ राम लछिमनहिं निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी ॥ अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ ॥

Chapter : 16 Number : 64

सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ ॥ मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता ॥

Chapter : 16 Number : 64

सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनि मम बच बिकलाई ॥ जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू ॥

Chapter : 16 Number : 64

सुत बित नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारहिं बारा ॥ अस बिचारि जियँ जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता ॥

Chapter : 16 Number : 64

जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना ॥ अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही ॥

Chapter : 16 Number : 64

जैहउँ अवध कवन मुहु लाई। नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई ॥ बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं ॥

Chapter : 16 Number : 64

अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहिहि निठुर कठोर उर मोरा ॥ निज जननी के एक कुमारा। तात तासु तुम्ह प्रान अधारा ॥

Chapter : 16 Number : 64

सौंपेसि मोहि तुम्हहि गहि पानी। सब बिधि सुखद परम हित जानी ॥ उतरु काह दैहउँ तेहि जाई। उठि किन मोहि सिखावहु भाई ॥

Chapter : 16 Number : 64

बहु बिधि सिचत सोच बिमोचन। स्त्रवत सलिल राजिव दल लोचन ॥ उमा एक अखंड रघुराई। नर गति भगत कृपाल देखाई ॥

Chapter : 16 Number : 64

Sortha/ सोरठा

सो. प्रभु प्रलाप सुनि कान बिकल भए बानर निकर। आइ गयउ हनुमान जिमि करुना महँ बीर रस ॥ ६१ ॥

Chapter : 16 Number : 65

Chaupai / चोपाई

हरषि राम भेंटेउ हनुमाना। अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना ॥ तुरत बैद तब कीन्ह उपाई। उठि बैठे लछिमन हरषाई ॥

Chapter : 16 Number : 65

हृदयँ लाइ प्रभु भेंटेउ भ्राता। हरषे सकल भालु कपि ब्राता ॥ कपि पुनि बैद तहाँ पहुँचावा। जेहि बिधि तबहिं ताहि लइ आवा ॥

Chapter : 16 Number : 65

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