Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Laxman-Ravana war

ॐ श्री परमात्मने नमः


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संस्कृत्म
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ॐ श्री गणेशाय नमः

Doha/ दोहा

दो. निज दल बिकल देखि कटि कसि निषंग धनु हाथ। लछिमन चले क्रुद्ध होइ नाइ राम पद माथ ॥ ८२ ॥

Chapter : 22 Number : 91

Chaupai / चोपाई

रे खल का मारसि कपि भालू। मोहि बिलोकु तोर मैं कालू ॥ खोजत रहेउँ तोहि सुतघाती। आजु निपाति जुड़ावउँ छाती ॥

Chapter : 22 Number : 91

अस कहि छाड़ेसि बान प्रचंडा। लछिमन किए सकल सत खंडा ॥ कोटिन्ह आयुध रावन डारे। तिल प्रवान करि काटि निवारे ॥

Chapter : 22 Number : 91

पुनि निज बानन्ह कीन्ह प्रहारा। स्यंदनु भंजि सारथी मारा ॥ सत सत सर मारे दस भाला। गिरि सृंगन्ह जनु प्रबिसहिं ब्याला ॥

Chapter : 22 Number : 91

पुनि सत सर मारा उर माहीं। परेउ धरनि तल सुधि कछु नाहीं ॥ उठा प्रबल पुनि मुरुछा जागी। छाड़िसि ब्रह्म दीन्हि जो साँगी ॥

Chapter : 22 Number : 91

Chanda / छन्द

छं. सो ब्रह्म दत्त प्रचंड सक्ति अनंत उर लागी सही। पर्यो बीर बिकल उठाव दसमुख अतुल बल महिमा रही ॥ ब्रह्मांड भवन बिराज जाकें एक सिर जिमि रज कनी। तेहि चह उठावन मूढ़ रावन जान नहिं त्रिभुअन धनी ॥

Chapter : 22 Number : 92

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namo namaḥ!

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