Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Indra sending a chariot for Shri Ram, Ram-Ravana epic war

ॐ श्री परमात्मने नमः


This overlay will guide you through the buttons:

संस्कृत्म
A English

ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

तेज पुंज रथ दिब्य अनूपा। हरषि चढ़े कोसलपुर भूपा ॥ चंचल तुरग मनोहर चारी। अजर अमर मन सम गतिकारी ॥

Chapter : 24 Number : 103

रथारूढ़ रघुनाथहि देखी। धाए कपि बलु पाइ बिसेषी ॥ सही न जाइ कपिन्ह कै मारी। तब रावन माया बिस्तारी ॥

Chapter : 24 Number : 103

सो माया रघुबीरहि बाँची। लछिमन कपिन्ह सो मानी साँची ॥ देखी कपिन्ह निसाचर अनी। अनुज सहित बहु कोसलधनी ॥

Chapter : 24 Number : 103

Chanda / छन्द

छं. बहु राम लछिमन देखि मर्कट भालु मन अति अपडरे। जनु चित्र लिखित समेत लछिमन जहँ सो तहँ चितवहिं खरे ॥ निज सेन चकित बिलोकि हँसि सर चाप सजि कोसल धनी। माया हरी हरि निमिष महुँ हरषी सकल मर्कट अनी ॥

Chapter : 24 Number : 104

Doha/ दोहा

दो. बहुरि राम सब तन चितइ बोले बचन गँभीर। द्वंदजुद्ध देखहु सकल श्रमित भए अति बीर ॥ ८९ ॥

Chapter : 24 Number : 105

Chaupai / चोपाई

अस कहि रथ रघुनाथ चलावा। बिप्र चरन पंकज सिरु नावा ॥ तब लंकेस क्रोध उर छावा। गर्जत तर्जत सन्मुख धावा ॥

Chapter : 24 Number : 105

जीतेहु जे भट संजुग माहीं। सुनु तापस मैं तिन्ह सम नाहीं ॥ रावन नाम जगत जस जाना। लोकप जाकें बंदीखाना ॥

Chapter : 24 Number : 105

खर दूषन बिराध तुम्ह मारा। बधेहु ब्याध इव बालि बिचारा ॥ निसिचर निकर सुभट संघारेहु। कुंभकरन घननादहि मारेहु ॥

Chapter : 24 Number : 105

आजु बयरु सबु लेउँ निबाही। जौं रन भूप भाजि नहिं जाहीं ॥ आजु करउँ खलु काल हवाले। परेहु कठिन रावन के पाले ॥

Chapter : 24 Number : 105

सुनि दुर्बचन कालबस जाना। बिहँसि बचन कह कृपानिधाना ॥ सत्य सत्य सब तव प्रभुताई। जल्पसि जनि देखाउ मनुसाई ॥

Chapter : 24 Number : 105

Chanda / छन्द

छं. जनि जल्पना करि सुजसु नासहि नीति सुनहि करहि छमा। संसार महँ पूरुष त्रिबिध पाटल रसाल पनस समा ॥ एक सुमनप्रद एक सुमन फल एक फलइ केवल लागहीं। एक कहहिं कहहिं करहिं अपर एक करहिं कहत न बागहीं ॥

Chapter : 24 Number : 106

Doha/ दोहा

दो. राम बचन सुनि बिहँसा मोहि सिखावत ग्यान। बयरु करत नहिं तब डरे अब लागे प्रिय प्रान ॥ ९० ॥

Chapter : 24 Number : 107

Chaupai / चोपाई

कहि दुर्बचन क्रुद्ध दसकंधर। कुलिस समान लाग छाँड़ै सर ॥ नानाकार सिलीमुख धाए। दिसि अरु बिदिस गगन महि छाए ॥

Chapter : 24 Number : 107

पावक सर छाँड़ेउ रघुबीरा। छन महुँ जरे निसाचर तीरा ॥ छाड़िसि तीब्र सक्ति खिसिआई। बान संग प्रभु फेरि चलाई ॥

Chapter : 24 Number : 107

कोटिक चक्र त्रिसूल पबारै। बिनु प्रयास प्रभु काटि निवारै ॥ निफल होहिं रावन सर कैसें। खल के सकल मनोरथ जैसें ॥

Chapter : 24 Number : 107

तब सत बान सारथी मारेसि। परेउ भूमि जय राम पुकारेसि ॥ राम कृपा करि सूत उठावा। तब प्रभु परम क्रोध कहुँ पावा ॥

Chapter : 24 Number : 107

Chanda / छन्द

छं. भए क्रुद्ध जुद्ध बिरुद्ध रघुपति त्रोन सायक कसमसे। कोदंड धुनि अति चंड सुनि मनुजाद सब मारुत ग्रसे ॥ मँदोदरी उर कंप कंपति कमठ भू भूधर त्रसे। चिक्करहिं दिग्गज दसन गहि महि देखि कौतुक सुर हँसे ॥

Chapter : 24 Number : 108

Doha/ दोहा

दो. तानेउ चाप श्रवन लगि छाँड़े बिसिख कराल। राम मारगन गन चले लहलहात जनु ब्याल ॥ ९१ ॥

Chapter : 24 Number : 109

Chaupai / चोपाई

चले बान सपच्छ जनु उरगा। प्रथमहिं हतेउ सारथी तुरगा ॥ रथ बिभंजि हति केतु पताका। गर्जा अति अंतर बल थाका ॥

Chapter : 24 Number : 109

तुरत आन रथ चढ़ि खिसिआना। अस्त्र सस्त्र छाँड़ेसि बिधि नाना ॥ बिफल होहिं सब उद्यम ताके। जिमि परद्रोह निरत मनसा के ॥

Chapter : 24 Number : 109

तब रावन दस सूल चलावा। बाजि चारि महि मारि गिरावा ॥ तुरग उठाइ कोऽपि रघुनायक। खैंचि सरासन छाँड़े सायक ॥

Chapter : 24 Number : 109

रावन सिर सरोज बनचारी। चलि रघुबीर सिलीमुख धारी ॥ दस दस बान भाल दस मारे। निसरि गए चले रुधिर पनारे ॥

Chapter : 24 Number : 109

स्त्रवत रुधिर धायउ बलवाना। प्रभु पुनि कृत धनु सर संधाना ॥ तीस तीर रघुबीर पबारे। भुजन्हि समेत सीस महि पारे ॥

Chapter : 24 Number : 109

काटतहीं पुनि भए नबीने। राम बहोरि भुजा सिर छीने ॥ प्रभु बहु बार बाहु सिर हए। कटत झटिति पुनि नूतन भए ॥

Chapter : 24 Number : 109

पुनि पुनि प्रभु काटत भुज सीसा। अति कौतुकी कोसलाधीसा ॥ रहे छाइ नभ सिर अरु बाहू। मानहुँ अमित केतु अरु राहू ॥

Chapter : 24 Number : 109

Chanda / छन्द

छं. जनु राहु केतु अनेक नभ पथ स्त्रवत सोनित धावहीं। रघुबीर तीर प्रचंड लागहिं भूमि गिरन न पावहीं ॥ एक एक सर सिर निकर छेदे नभ उड़त इमि सोहहीं। जनु कोऽपि दिनकर कर निकर जहँ तहँ बिधुंतुद पोहहीं ॥

Chapter : 24 Number : 110

Doha/ दोहा

दो. जिमि जिमि प्रभु हर तासु सिर तिमि तिमि होहिं अपार। सेवत बिषय बिबर्ध जिमि नित नित नूतन मार ॥ ९२ ॥

Chapter : 24 Number : 111

Chaupai / चोपाई

दसमुख देखि सिरन्ह कै बाढ़ी। बिसरा मरन भई रिस गाढ़ी ॥ गर्जेउ मूढ़ महा अभिमानी। धायउ दसहु सरासन तानी ॥

Chapter : 24 Number : 111

समर भूमि दसकंधर कोप्यो। बरषि बान रघुपति रथ तोप्यो ॥ दंड एक रथ देखि न परेऊ। जनु निहार महुँ दिनकर दुरेऊ ॥

Chapter : 24 Number : 111

हाहाकार सुरन्ह जब कीन्हा। तब प्रभु कोऽपि कारमुक लीन्हा ॥ सर निवारि रिपु के सिर काटे। ते दिसि बिदिस गगन महि पाटे ॥

Chapter : 24 Number : 111

काटे सिर नभ मारग धावहिं। जय जय धुनि करि भय उपजावहिं ॥ कहँ लछिमन सुग्रीव कपीसा। कहँ रघुबीर कोसलाधीसा ॥

Chapter : 24 Number : 111

Chanda / छन्द

छं. कहँ रामु कहि सिर निकर धाए देखि मर्कट भजि चले। संधानि धनु रघुबंसमनि हँसि सरन्हि सिर बेधे भले ॥ सिर मालिका कर कालिका गहि बृंद बृंदन्हि बहु मिलीं। करि रुधिर सरि मज्जनु मनहुँ संग्राम बट पूजन चलीं ॥

Chapter : 24 Number : 112

Add to Playlist

Practice Later

No Playlist Found

Create a Verse Post


namo namaḥ!

भाषा चुने (Choose Language)

Gyaandweep Gyaandweep

namo namaḥ!

Sign Up to practice more than 60 Vedic Scriptures and 100 of chants, one verse at a time.

Login to track your learning and teaching progress.


Sign In