ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
Chaupai / चोपाई
हाहाकार करत सुर भागे। खलहु जाहु कहँ मोरें आगे ॥ देखि बिकल सुर अंगद धायो। कूदि चरन गहि भूमि गिरायो ॥
Chanda / छन्द
छं. गहि भूमि पार् यो लात मार् यो बालिसुत प्रभु पहिं गयो। संभारि उठि दसकंठ घोर कठोर रव गर्जत भयो ॥ करि दाप चाप चढ़ाइ दस संधानि सर बहु बरषई। किए सकल भट घायल भयाकुल देखि निज बल हरषई ॥
Doha/ दोहा
दो. तब रघुपति रावन के सीस भुजा सर चाप। काटे बहुत बढ़े पुनि जिमि तीरथ कर पाप। ९७ ॥
Chaupai / चोपाई
सिर भुज बाढ़ि देखि रिपु केरी। भालु कपिन्ह रिस भई घनेरी ॥ मरत न मूढ़ कटेउ भुज सीसा। धाए कोऽपि भालु भट कीसा ॥
बालितनय मारुति नल नीला। बानरराज दुबिद बलसीला ॥ बिटप महीधर करहिं प्रहारा। सोइ गिरि तरु गहि कपिन्ह सो मारा ॥
एक नखन्हि रिपु बपुष बिदारी। भागि चलहिं एक लातन्ह मारी ॥ तब नल नील सिरन्हि चढ़ि गयऊ। नखन्हि लिलार बिदारत भयऊ ॥
रुधिर देखि बिषाद उर भारी। तिन्हहि धरन कहुँ भुजा पसारी ॥ गहे न जाहिं करन्हि पर फिरहीं। जनु जुग मधुप कमल बन चरहीं ॥
कोऽपि कूदि द्वौ धरेसि बहोरी। महि पटकत भजे भुजा मरोरी ॥ पुनि सकोप दस धनु कर लीन्हे। सरन्हि मारि घायल कपि कीन्हे ॥
हनुमदादि मुरुछित करि बंदर। पाइ प्रदोष हरष दसकंधर ॥ मुरुछित देखि सकल कपि बीरा। जामवंत धायउ रनधीरा ॥
संग भालु भूधर तरु धारी। मारन लगे पचारि पचारी ॥ भयउ क्रुद्ध रावन बलवाना। गहि पद महि पटकइ भट नाना ॥
देखि भालुपति निज दल घाता। कोऽपि माझ उर मारेसि लाता ॥
Chanda / छन्द
छं. उर लात घात प्रचंड लागत बिकल रथ ते महि परा। गहि भालु बीसहुँ कर मनहुँ कमलन्हि बसे निसि मधुकरा ॥ मुरुछित बिलोकि बहोरि पद हति भालुपति प्रभु पहिं गयौ। निसि जानि स्यंदन घालि तेहि तब सूत जतनु करत भयो ॥
Doha/ दोहा
दो. मुरुछा बिगत भालु कपि सब आए प्रभु पास। निसिचर सकल रावनहि घेरि रहे अति त्रास ॥ ९८ ॥
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