Ram Charita Manas

Lanka-Kanda

Mandodari Convincing Ravana to give back Maa Sita, dialogue between Ravana and Prahast.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Doha/ दोहा

दो. बांध्यो बननिधि नीरनिधि जलधि सिंधु बारीस। सत्य तोयनिधि कंपति उदधि पयोधि नदीस ॥ ५ ॥

Chapter : 4 Number : 7

Chaupai / चोपाई

निज बिकलता बिचारि बहोरी। बिहँसि गयउ ग्रह करि भय भोरी ॥ मंदोदरीं सुन्यो प्रभु आयो। कौतुकहीं पाथोधि बँधायो ॥

Chapter : 4 Number : 7

कर गहि पतिहि भवन निज आनी। बोली परम मनोहर बानी ॥ चरन नाइ सिरु अंचलु रोपा। सुनहु बचन पिय परिहरि कोपा ॥

Chapter : 4 Number : 7

नाथ बयरु कीजे ताही सों। बुधि बल सकिअ जीति जाही सों ॥ तुम्हहि रघुपतिहि अंतर कैसा। खलु खद्योत दिनकरहि जैसा ॥

Chapter : 4 Number : 7

अतिबल मधु कैटभ जेहिं मारे। महाबीर दितिसुत संघारे ॥ जेहिं बलि बाँधि सहजभुज मारा। सोइ अवतरेउ हरन महि भारा ॥

Chapter : 4 Number : 7

तासु बिरोध न कीजिअ नाथा। काल करम जिव जाकें हाथा ॥

Chapter : 4 Number : 7

Doha/ दोहा

दो. रामहि सौपि जानकी नाइ कमल पद माथ। सुत कहुँ राज समर्पि बन जाइ भजिअ रघुनाथ ॥ ६ ॥

Chapter : 4 Number : 8

Chaupai / चोपाई

नाथ दीनदयाल रघुराई। बाघउ सनमुख गएँ न खाई ॥ चाहिअ करन सो सब करि बीते। तुम्ह सुर असुर चराचर जीते ॥

Chapter : 4 Number : 8

संत कहहिं असि नीति दसानन। चौथेंपन जाइहि नृप कानन ॥ तासु भजन कीजिअ तहँ भर्ता। जो कर्ता पालक संहर्ता ॥

Chapter : 4 Number : 8

सोइ रघुवीर प्रनत अनुरागी। भजहु नाथ ममता सब त्यागी ॥ मुनिबर जतनु करहिं जेहि लागी। भूप राजु तजि होहिं बिरागी ॥

Chapter : 4 Number : 8

सोइ कोसलधीस रघुराया। आयउ करन तोहि पर दाया ॥ जौं पिय मानहु मोर सिखावन। सुजसु होइ तिहुँ पुर अति पावन ॥

Chapter : 4 Number : 8

Doha/ दोहा

दो. अस कहि नयन नीर भरि गहि पद कंपित गात। नाथ भजहु रघुनाथहि अचल होइ अहिवात ॥ ७ ॥

Chapter : 4 Number : 9

Chaupai / चोपाई

तब रावन मयसुता उठाई। कहै लाग खल निज प्रभुताई ॥ सुनु तै प्रिया बृथा भय माना। जग जोधा को मोहि समाना ॥

Chapter : 4 Number : 9

बरुन कुबेर पवन जम काला। भुज बल जितेउँ सकल दिगपाला ॥ देव दनुज नर सब बस मोरें। कवन हेतु उपजा भय तोरें ॥

Chapter : 4 Number : 9

नाना बिधि तेहि कहेसि बुझाई। सभाँ बहोरि बैठ सो जाई ॥ मंदोदरीं हृदयँ अस जाना। काल बस्य उपजा अभिमाना ॥

Chapter : 4 Number : 9

सभाँ आइ मंत्रिन्ह तेंहि बूझा। करब कवन बिधि रिपु सैं जूझा ॥ कहहिं सचिव सुनु निसिचर नाहा। बार बार प्रभु पूछहु काहा ॥

Chapter : 4 Number : 9

कहहु कवन भय करिअ बिचारा। नर कपि भालु अहार हमारा ॥

Chapter : 4 Number : 9

Doha/ दोहा

दो. सब के बचन श्रवन सुनि कह प्रहस्त कर जोरि। निति बिरोध न करिअ प्रभु मत्रिंन्ह मति अति थोरि ॥ ८ ॥

Chapter : 4 Number : 10

Chaupai / चोपाई

कहहिं सचिव सठ ठकुरसोहाती। नाथ न पूर आव एहि भाँती ॥ बारिधि नाघि एक कपि आवा। तासु चरित मन महुँ सबु गावा ॥

Chapter : 4 Number : 10

छुधा न रही तुम्हहि तब काहू। जारत नगरु कस न धरि खाहू ॥ सुनत नीक आगें दुख पावा। सचिवन अस मत प्रभुहि सुनावा ॥

Chapter : 4 Number : 10

जेहिं बारीस बँधायउ हेला। उतरेउ सेन समेत सुबेला ॥ सो भनु मनुज खाब हम भाई। बचन कहहिं सब गाल फुलाई ॥

Chapter : 4 Number : 10

तात बचन मम सुनु अति आदर। जनि मन गुनहु मोहि करि कादर ॥ प्रिय बानी जे सुनहिं जे कहहीं। ऐसे नर निकाय जग अहहीं ॥

Chapter : 4 Number : 10

बचन परम हित सुनत कठोरे। सुनहिं जे कहहिं ते नर प्रभु थोरे ॥ प्रथम बसीठ पठउ सुनु नीती। सीता देइ करहु पुनि प्रीती ॥

Chapter : 4 Number : 10

Doha/ दोहा

दो. नारि पाइ फिरि जाहिं जौं तौ न बढ़ाइअ रारि। नाहिं त सन्मुख समर महि तात करिअ हठि मारि ॥ ९ ॥

Chapter : 4 Number : 11

Chaupai / चोपाई

यह मत जौं मानहु प्रभु मोरा। उभय प्रकार सुजसु जग तोरा ॥ सुत सन कह दसकंठ रिसाई। असि मति सठ केहिं तोहि सिखाई ॥

Chapter : 4 Number : 11

अबहीं ते उर संसय होई। बेनुमूल सुत भयहु घमोई ॥ सुनि पितु गिरा परुष अति घोरा। चला भवन कहि बचन कठोरा ॥

Chapter : 4 Number : 11

हित मत तोहि न लागत कैसें। काल बिबस कहुँ भेषज जैसें ॥ संध्या समय जानि दससीसा। भवन चलेउ निरखत भुज बीसा ॥

Chapter : 4 Number : 11

लंका सिखर उपर आगारा। अति बिचित्र तहँ होइ अखारा ॥ बैठ जाइ तेही मंदिर रावन। लागे किंनर गुन गन गावन ॥

Chapter : 4 Number : 11

बाजहिं ताल पखाउज बीना। नृत्य करहिं अपछरा प्रबीना ॥

Chapter : 4 Number : 11

Doha/ दोहा

दो. सुनासीर सत सरिस सो संतत करइ बिलास। परम प्रबल रिपु सीस पर तद्यपि सोच न त्रास ॥ १० ॥

Chapter : 4 Number : 12

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