Ram Charita Manas

Sundara-Kanda

Hanuman conversation Vibhishana

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Doha / दोहा

दो. रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ । नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरषि कपिराइ ॥ ५ ॥

Chapter : 4 Number : 7

Chaupai / चोपाई

लंका निसिचर निकर निवासा । इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा ॥ मन महुँ तरक करै कपि लागा । तेहीं समय बिभीषनु जागा ॥

Chapter : 4 Number : 7

राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा । हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा ॥ एहि सन हठि करिहउँ पहिचानी । साधु ते होइ न कारज हानी ॥

Chapter : 4 Number : 7

बिप्र रुप धरि बचन सुनाए । सुनत बिभीषण उठि तहँ आए ॥ करि प्रनाम पूँछी कुसलाई । बिप्र कहहु निज कथा बुझाई ॥

Chapter : 4 Number : 7

की तुम्ह हरि दासन्ह महँ कोई । मोरें हृदय प्रीति अति होई ॥ की तुम्ह रामु दीन अनुरागी । आयहु मोहि करन बड़भागी ॥

Chapter : 4 Number : 7

Doha / दोहा

दो. तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम । सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥ ६ ॥

Chapter : 4 Number : 8

Chaupai / चोपाई

सुनहु पवनसुत रहनि हमारी । जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी ॥ तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा । करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा ॥

Chapter : 4 Number : 8

तामस तनु कछु साधन नाहीं । प्रीति न पद सरोज मन माहीं ॥ अब मोहि भा भरोस हनुमंता । बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता ॥

Chapter : 4 Number : 8

जौ रघुबीर अनुग्रह कीन्हा । तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा ॥ सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती । करहिं सदा सेवक पर प्रीती ॥

Chapter : 4 Number : 8

कहहु कवन मैं परम कुलीना । कपि चंचल सबहीं बिधि हीना ॥ प्रात लेइ जो नाम हमारा । तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा ॥

Chapter : 4 Number : 8

Doha / दोहा

दो. अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर । कीन्ही कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥ ७ ॥

Chapter : 4 Number : 9

Chaupai / चोपाई

जानतहूँ अस स्वामि बिसारी । फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी ॥ एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा । पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा ॥

Chapter : 4 Number : 9

पुनि सब कथा बिभीषन कही । जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही ॥ तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता । देखी चहउँ जानकी माता ॥

Chapter : 4 Number : 9

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