Ram Charita Manas

Uttara Kanda

Glory of singing bhajans.

ॐ श्री परमात्मने नमः


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ॐ श्री गणेशाय नमः

Chaupai / चोपाई

रघुपति भगति सजीवन मूरी। अनूपान श्रद्धा मति पूरी ॥ एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं। नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं ॥

Chapter : 20 Number : 127

जानिअ तब मन बिरुज गोसाँई। जब उर बल बिराग अधिकाई ॥ सुमति छुधा बाढ़इ नित नई। बिषय आस दुर्बलता गई ॥

Chapter : 20 Number : 127

बिमल ग्यान जल जब सो नहाई। तब रह राम भगति उर छाई ॥ सिव अज सुक सनकादिक नारद। जे मुनि ब्रह्म बिचार बिसारद ॥

Chapter : 20 Number : 127

सब कर मत खगनायक एहा। करिअ राम पद पंकज नेहा ॥ श्रुति पुरान सब ग्रंथ कहाहीं। रघुपति भगति बिना सुख नाहीं ॥

Chapter : 20 Number : 127

कमठ पीठ जामहिं बरु बारा। बंध्या सुत बरु काहुहि मारा ॥ फूलहिं नभ बरु बहुबिधि फूला। जीव न लह सुख हरि प्रतिकूला ॥

Chapter : 20 Number : 127

तृषा जाइ बरु मृगजल पाना। बरु जामहिं सस सीस बिषाना ॥ अंधकारु बरु रबिहि नसावै। राम बिमुख न जीव सुख पावै ॥

Chapter : 20 Number : 127

हिम ते अनल प्रगट बरु होई। बिमुख राम सुख पाव न कोई ॥ दो०=बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।

Chapter : 20 Number : 127

Doha / दोहा

दो. बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल । बिनु हरि भजन न भव तरिअ यह सिद्धांत अपेल ॥ १२२(क) ॥

Chapter : 20 Number : 128

मसकहि करइ बिंरंचि प्रभु अजहि मसक ते हीन । अस बिचारि तजि संसय रामहि भजहिं प्रबीन ॥ १२२(ख) ॥

Chapter : 20 Number : 128

Shloka / श्लोक्

श्लोक- विनिच्श्रितं वदामि ते न अन्यथा वचांसि मे । हरिं नरा भजन्ति येऽतिदुस्तरं तरन्ति ते ॥ १२२(ग) ॥

Chapter : 20 Number : 128

Chaupai / चोपाई

कहेउँ नाथ हरि चरित अनूपा। ब्यास समास स्वमति अनुरुपा ॥ श्रुति सिद्धांत इहइ उरगारी। राम भजिअ सब काज बिसारी ॥

Chapter : 20 Number : 128

प्रभु रघुपति तजि सेइअ काही। मोहि से सठ पर ममता जाही ॥ तुम्ह बिग्यानरूप नहिं मोहा। नाथ कीन्हि मो पर अति छोहा ॥

Chapter : 20 Number : 128

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