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अथ पातालभोगिवर्गः ॥ १.८ ॥
अधोभुवन , पाताल , बलिसद्मन् , रसातल
अधोभुवनपातालं बलिसद्म रसातलम् ॥ १.८.४८६ ॥
अधोभुवन , पाताल , बलिसद्मन् , रसातल
नागलोक , Empty Space. 4
नागलोकोऽथ कुहरं सुषिरं विवरं बिलम् ॥ १.८.४८७ ॥
नागलोक , Empty Space. 4
छिद्र , निर्व्यथन , रोक , रन्ध्र , श्वभ्र , वपा , शुषि
छिद्रं निर्व्यथनं रोकं रन्ध्रं श्वभ्रं वपा सुषिः ॥ १.८.४८८ ॥
छिद्र , निर्व्यथन , रोक , रन्ध्र , श्वभ्र , वपा , शुषि
गर्त
गर्ताऽवटौ भुवि श्वभ्रे सरन्ध्रे सुषिरं त्रिषु ॥ १.८.४८९ ॥
गर्त
अन्धकार
अन्धकारोऽस्त्रियां ध्वान्तं तमिस्रं तिमिरं तमः ॥ १.८.४९० ॥
अन्धकार
अन्धतमस , Partial Darkness (1)
ध्वान्ते गाढेऽन्धतमसं क्षीणेऽवतमसं तमः ॥ १.८.४९१ ॥
अन्धतमस , Partial Darkness (1)
सन्तमस , Snake. (2)
विष्वक्संतमसं नागाः काद्रवेयास्तदीश्वरः ॥ १.८.४९२ ॥
सन्तमस , Snake. (2)
शेष , अनन्त , King of Snakes. (2)
शेषोऽनन्तो वासुकिस्तु सर्पराजोऽथ गोनसे ॥ १.८.४९३ ॥
शेष , अनन्त , King of Snakes. (2)
तिलित्स , Python. (3)
तिलित्सः स्यादजगरे शयुर्वाहस इत्युभौ ॥ १.८.४९४ ॥
तिलित्स , Python. (3)
अलगर्द , जलव्याल , Nonpoisonous Snake. (2)
अलगर्दो जलव्यालः समौ राजिलडुण्डुभौ ॥ १.८.४९५ ॥
अलगर्द , जलव्याल , Nonpoisonous Snake. (2)
मालुधान , मातुलाहि , Shedded Snake. (2)
मालुधानो मातुलाहिर्निर्मुक्तो मुक्तकञ्चुकः ॥ १.८.४९६ ॥
मालुधान , मातुलाहि , Shedded Snake. (2)
सर्प , पृदाकु , भुजग , भुजङ्ग , अहि , भुजङ्गम
सर्पः पृदाकुर्भुजगो भुजङ्गोऽहिर्भुजङ्गमः ॥ १.८.४९७ ॥
सर्प , पृदाकु , भुजग , भुजङ्ग , अहि , भुजङ्गम
आशीविष , विषधर , चक्रिन् , व्याल , सरीसृप
आशीविषो विषधरश्चक्री व्यालः सरीसृपः ॥ १.८.४९८ ॥
आशीविष , विषधर , चक्रिन् , व्याल , सरीसृप
कुण्डलिन् , गूढपाद् , चक्षुःश्रवस् , काकोदर , फणिन्
कुण्डली गूढपाच्चक्षुःश्रवाः काकोदरः फणी ॥ १.८.४९९ ॥
कुण्डलिन् , गूढपाद् , चक्षुःश्रवस् , काकोदर , फणिन्
दर्वीकर , दीर्घपृष्ठ , दन्दशूक , बिलेशय
दर्वीकरो दीर्घपृष्ठो दन्दशूको बिलेशयः ॥ १.८.५०० ॥
दर्वीकर , दीर्घपृष्ठ , दन्दशूक , बिलेशय
उरग , पन्नग , भोगी , जिह्मग , पवनाशन
उरगः पन्नगो भोगी जिह्मगः पवनाशनः ॥ १.८.५०१ ॥
उरग , पन्नग , भोगी , जिह्मग , पवनाशन
लेलिहान , द्विरसन , गोकर्ण , कञ्चुकिन्
लेलिहानो द्विरसनो गोकर्णः कञ्चुकी तथा ॥ १.८.५०२ ॥
लेलिहान , द्विरसन , गोकर्ण , कञ्चुकिन्
कुम्भीनस , फणधर , हरि , भोगधर
कुम्भीनसः फणधरो हरिर्भोगधरस्तथा ॥ १.८.५०३ ॥
कुम्भीनस , फणधर , हरि , भोगधर
भोग , Pertaining of a Snake (1)
अहेः शरीरं भोगः स्यादाशीरप्यहिदंष्ट्रिका ॥ १.८.५०४ ॥
भोग , Pertaining of a Snake (1)
आहेय वि, Hood of a Snake (2)
त्रिष्वाहेयं विषाऽस्थ्यादि स्फटायां तु फणा द्वयोः ॥ १.८.५०५ ॥
आहेय वि, Hood of a Snake (2)
कञ्चुक , निर्मोक , Snake Poison (3)
समौ कञ्चुकनिर्मोकौ क्ष्वेडस्तु गरलं विषम् ॥ १.८.५०६ ॥
कञ्चुक , निर्मोक , Snake Poison (3)
काकोल
पुंसि क्लीबे च काकोलकालकूटहलाहलाः ॥ १.८.५०७ ॥
काकोल
सौराष्ट्रिक , शौक्लिकेय , ब्रह्मपुत्र , प्रदीपन
सौराष्ट्रिकः शौक्लिकेयो ब्रह्मपुत्रः प्रदीपनः ॥ १.८.५०८ ॥
सौराष्ट्रिक , शौक्लिकेय , ब्रह्मपुत्र , प्रदीपन
दारद , वत्सनाभ
दारदो वत्सनाभश्च विषभेदा अमी नव ॥ १.८.५०९ ॥
दारद , वत्सनाभ
विषवैद्य , जाङ्गुलिक , Snake Catcher. (2)
विषवैद्यो जाङ्गुलिको व्यालग्राह्यहितुण्डिकः ॥ १.८.५१० ॥
विषवैद्य , जाङ्गुलिक , Snake Catcher. (2)
इति पातालभोगिवर्गः ॥ १.८ ॥

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